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राजस्थान में खेलों की मान्यता पर सवाल — जब भारत के पूर्व खेल मंत्री के राज्य में ही खिलाड़ी बेमान्यता के शिकार

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राजस्थान में खेलों की मान्यता पर सवाल — जब भारत के पूर्व खेल मंत्री के राज्य में ही खिलाड़ी बेमान्यता के शिकार हमारा ब्लॉग देखे किशोर प्रजापति भारत जैसे विशाल राष्ट्र में खेल न केवल शारीरिक क्षमता का प्रतीक हैं, बल्कि एकता, अनुशासन और राष्ट्रगौरव का प्रतीक भी हैं। लेकिन आज सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि  जिस खेल को भारत सरकार मान्यता देती है, वह राजस्थान में “बिना मान्यता” का शिकार कैसे हो गया? क्या यह केवल एक प्रशासनिक भूल है, या खिलाड़ियों के भविष्य से किया गया अन्याय?  जब केंद्र मान्यता देता है, तो राज्य क्यों नहीं मानता? भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय ने देशभर में अनेक खेलों को आधिकारिक मान्यता दे रखी है  इनमें वे खेल भी शामिल हैं जिनमें राजस्थान के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रहे हैं। फिर सवाल उठता है  अगर वही खेल भारत स्तर पर मान्य है, तो राजस्थान में उसे "गैर-मान्यता प्राप्त" कहकर खिलाड़ियों का भविष्य क्यों रोका जा रहा है? क्या राजस्थान भारत से अलग कोई व्यवस्था चला रहा है? या फिर यह राज्य की खेल नीतियों में किसी गहरी असमानता ...