जालौर जिला राजनीति की भेंट चढ़ गया है
जालौर जिला राजनीति की भेंट चढ़ गया है राजस्थान का जालौर जिला, जो अपनी ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक धरोहर और समृद्ध परंपराओं के लिए जाना जाता है, आज राजनीतिक उपेक्षा और सत्ता की खींचतान का शिकार बन चुका है। विकास की अपार संभावनाएँ होते हुए भी यह जिला बुनियादी सुविधाओं की कमी, भ्रष्टाचार और राजनीतिक स्वार्थों के कारण पिछड़ता जा रहा है। 1. राजनीतिक स्वार्थ बनाम जनता के मुद्दे हर चुनाव में नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद जालौर को केवल आश्वासनों का झुनझुना थमा दिया जाता है। सड़कें, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर सरकारी योजनाएँ तो आती हैं, लेकिन उनका लाभ जमीनी स्तर पर नहीं दिखता। सड़कों की हालत बदतर – गाँवों को शहरों से जोड़ने वाली सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं। बारिश में तो हालात और भी खराब हो जाते हैं। पेयजल संकट गंभीर समस्या – गर्मियों में पीने के पानी के लिए जनता को तरसना पड़ता है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया। स्वास्थ्य सेवाएँ कमजोर – सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी और संसाधनों की बदहाली साफ झलकती है...