मनोरंजन के नाम पर माता-पिता का अपमान: कहां जा रहा हमारा समाज?

मनोरंजन के नाम पर माता-पिता का अपमान: कहां जा रहा हमारा समाज? मनोरंजन और हास्य समाज में सकारात्मकता लाने के लिए होते हैं, लेकिन जब यह मर्यादा की सीमाएं लांघने लगे, तो यह चिंता का विषय बन जाता है। हाल ही में एक टीवी शो में माता-पिता के प्रति घिनौने शब्दों का इस्तेमाल किया गया, जिसने न केवल संस्कारों का अपमान किया बल्कि लाखों दर्शकों की भावनाओं को भी ठेस पहुंचाई। क्या यह सही है? हमारे भारतीय समाज में माता-पिता को सर्वोच्च स्थान दिया जाता है। वे न केवल हमारे जीवन के आधार होते हैं, बल्कि हमारे चरित्र निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में, सार्वजनिक मंच पर उनका अपमान किया जाना न केवल अनुचित है बल्कि नैतिक रूप से भी गलत है। मनोरंजन बनाम मर्यादा आजकल कई टीवी शो टीआरपी के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। वे हास्य और व्यंग्य के नाम पर व्यक्तिगत और सामाजिक मूल्यों का मज़ाक उड़ाने में भी हिचकिचाते नहीं हैं। अभद्र भाषा और अमर्यादित संवादों को सिर्फ एक "जोक" कहकर टाल देना, समाज में नकारात्मकता फैलाने का ही एक तरीका बन गया है। दर्शकों की भूमिका हमारे पास सबसे बड़ी ताक...