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राजस्थान में खेलों की मान्यता पर सवाल — जब भारत के पूर्व खेल मंत्री के राज्य में ही खिलाड़ी बेमान्यता के शिकार

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राजस्थान में खेलों की मान्यता पर सवाल — जब भारत के पूर्व खेल मंत्री के राज्य में ही खिलाड़ी बेमान्यता के शिकार हमारा ब्लॉग देखे किशोर प्रजापति भारत जैसे विशाल राष्ट्र में खेल न केवल शारीरिक क्षमता का प्रतीक हैं, बल्कि एकता, अनुशासन और राष्ट्रगौरव का प्रतीक भी हैं। लेकिन आज सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि  जिस खेल को भारत सरकार मान्यता देती है, वह राजस्थान में “बिना मान्यता” का शिकार कैसे हो गया? क्या यह केवल एक प्रशासनिक भूल है, या खिलाड़ियों के भविष्य से किया गया अन्याय?  जब केंद्र मान्यता देता है, तो राज्य क्यों नहीं मानता? भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय ने देशभर में अनेक खेलों को आधिकारिक मान्यता दे रखी है  इनमें वे खेल भी शामिल हैं जिनमें राजस्थान के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रहे हैं। फिर सवाल उठता है  अगर वही खेल भारत स्तर पर मान्य है, तो राजस्थान में उसे "गैर-मान्यता प्राप्त" कहकर खिलाड़ियों का भविष्य क्यों रोका जा रहा है? क्या राजस्थान भारत से अलग कोई व्यवस्था चला रहा है? या फिर यह राज्य की खेल नीतियों में किसी गहरी असमानता ...

भारतीय खेल: राजनीति और भ्रष्टाचार की कैद में

 

मात्र 23 वर्ष की उम्र मेदुर्दांत #मुस्लिम आतंकियोंसे भिड़कर अपनी जान देकर350 से अधिक लोगों कीजान बचाने वाली वीरांगना#नीरजाभनोट की #पुण्यतिथीपर #कोटि #कोटि #नमन।

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मात्र 23 वर्ष की उम्र मे दुर्दांत #मुस्लिम आतंकियों से भिड़कर अपनी जान देकर 350 से अधिक लोगों की जान बचाने वाली वीरांगना #नीरजाभनोट की #पुण्यतिथी पर #कोटि #कोटि #नमन। नीरजा को भारत का वीरता का #सर्वोच्च #नागरिक #सम्मान #अशोकचक्र,पकिस्तान का #तमगाएइंसानियत और अमेरिका का #जस्टिसफॉरक्राइम अवार्ड  मिला और पूरे विश्व में इनको हाइजैक गर्ल के नाम से जाना जाता है। 5 सितम्बर 1986 को भारत की एक विरांगना जिसने इस्लामिक आतंकियों से लगभग 350 यात्रियों की जान बचाते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया। भारत के कितने नवयुवक और नवयुवतियां उसका नाम जानते है। ??😢 कैटरिना कैफ,करीना कपूर, प्रियंका चोपडा ,दीपिका पादुकोण,विद्याबालन और अब तो सनी लियोन जैसा बनने की होड़ लगाने वाली #युवतियां क्या नीरजा भनोत का नाम जानती है। नहीं सुना न ये नाम। मैं बताता हूँ इस महान विरांगना के बारे में। 7 सितम्बर 1964 को चंड़ीगढ़ के हरीश भनोत जी के यहाँ जब एक बच्ची का जन्म हुआ था तो किसी ने भी नहीं सोचा था कि भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान इस बच्ची को मिलेगा। बचपन से ही इस बच्ची को वायुयान में बैठने और आकाश में उड़ने...

कोच: खेल व्यवस्था का भूला हुआ योद्धा

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कोच: खेल व्यवस्था का भूला हुआ योद्धा kishor Prajapati खेलों की दुनिया में जब कोई खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पदक लेकर देश का नाम रोशन करता है, तब पूरा देश उसकी जय-जयकार करता है। अख़बारों की सुर्खियों में उसका नाम छपता है, पुरस्कार और सम्मान की बौछार होती है। लेकिन उस चमकते हुए पदक के पीछे खड़ा एक चेहरा ऐसा भी है, जिसे न तो अख़बार की सुर्खियाँ मिलती हैं, न ही समाज का सम्मान — और वह है कोच। कोच की अनदेखी हकीकत कोच वह व्यक्ति है, जो गली-गांव से बच्चों को चुनता है, उन्हें खेल की बुनियादी शिक्षा देता है, अनुशासन और समर्पण सिखाता है। वह वर्षों तक अपने व्यक्तिगत त्याग, मेहनत और सीमित साधनों के बावजूद खिलाड़ियों को तैयार करता है। लेकिन विडंबना यह है कि खेल व्यवस्था में सबसे ज्यादा शोषण और अपमान का शिकार भी वही कोच होता है। जब खिलाड़ी सफल होता है, तो उसकी चमक के पीछे कोच का नाम दब जाता है। अगर कोई कोच सिस्टम की गलतियों पर बोलने की हिम्मत करता है, तो उसके करियर पर ताला लग जाता है। पुरस्कार और पहचान की सूची में खिलाड़ी का नाम होता है, लेकिन कोच अक्सर गुमनाम रह जाता है। एक मौन संघर्ष...

खेल भावना और प्रतिभा का संगम : चिल्ड्रन एंड कैडेट्स नेशनल किक बॉक्सिंग चैंपियनशिप-2025

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खेल भावना और प्रतिभा का संगम : चिल्ड्रन एंड कैडेट्स नेशनल किक बॉक्सिंग चैंपियनशिप-2025 चेन्नई खेल केवल पदक जीतने का माध्यम नहीं, बल्कि अनुशासन, आत्मविश्वास और आत्मविकास का रास्ता है। इसका सजीव उदाहरण चेन्नई में चल रही चिल्ड्रन एंड कैडेट्स नेशनल किक बॉक्सिंग चैंपियनशिप-2025 में देखने को मिल रहा है। पाँच दिवसीय इस आयोजन ने न केवल बच्चों और किशोर खिलाड़ियों की ऊर्जा को सामने रखा, बल्कि यह भी साबित किया कि आने वाली पीढ़ी भारतीय मार्शल आर्ट्स और किक बॉक्सिंग को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगी। मुकाबलों की रौनक और खिलाड़ियों का जज्बा दूसरे दिन जब इंडोर स्टेडियम का माहौल खेलभावना से गूंज रहा था, तब 550 से अधिक मुकाबलों ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। हर बाउट में खिलाड़ियों ने दमदार तकनीक, फुर्ती और धैर्य का ऐसा प्रदर्शन किया, जिसने साबित किया कि भारतीय खेल प्रतिभा किसी से कम नहीं है। छोटे-छोटे आयु वर्ग के खिलाड़ी भी जिस आत्मविश्वास और निडरता से रिंग में उतरे, वह भारतीय खेल संस्कृति की मजबूती को दिखाता है। अब तक 900 मुकाबले सम्पन्न हो चुके हैं और लगभग 50 अंतरराष्ट्र...

"मदन प्रजापत प्रकरण: लोकतंत्र के स्तंभ को ठेस या सत्ता का अहंकार

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जनप्रतिनिधि के अपमान पर चुप क्यों है प्रशासन? 📍 स्थान: राजस्थान – बालोतरा 🗓️ तिथि: 21/07/2025 --- लोकतंत्र में जनता की आवाज़ को बुलंद करने वाले जनप्रतिनिधियों का सम्मान सर्वोपरि होता है। लेकिन हाल ही में राजस्थान के बालोतरा क्षेत्र के पूर्व विधायक श्री मदन प्रजापत के साथ जो घटनाक्रम हुआ, वह लोकतंत्र की मर्यादा और सरकारी तंत्र की भूमिका दोनों पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। सूत्रों के अनुसार, एक सरकारी कर्मचारी द्वारा श्री मदन प्रजापत जी के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया। यह न केवल अमर्यादित और अपमानजनक है, बल्कि यह सरकारी प्रशासन में व्याप्त राजनीतिक पक्षपात और अहंकार की झलक भी देता है। --- 🔍 इस मुद्दे पर उठते हैं कई सवाल: क्या एक सरकारी कर्मचारी को यह अधिकार है कि वह एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि से इस तरह से बात करे? क्या यह लोकतंत्र की आत्मा के साथ खिलवाड़ नहीं है? क्या वर्तमान सरकार ऐसे अधिकारियों को शह दे रही है जो जनप्रतिनिधियों का अपमान कर लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं? --- ⚖️ लोकतंत्र का स्तंभ – जनप्रतिनिधि जनता अपने अधिकारों और समस्याओं को लेकर जनप्र...

रायपुर में गुंजन सोढा का जलवा: राष्ट्रीय किक बॉक्सिंग में ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा

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 स्थान: रायपुर, छत्तीसगढ़  तिथि: 20 जुलाई 2025 भीनमाल / जालौर गुंजन सोढा ने राष्ट्रीय किक बॉक्सिंग प्रतियोगिता में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर राजस्थान का नाम रोशन किया रायपुर (छत्तीसगढ़) में 16 से 20 जुलाई 2025 तक आयोजित राष्ट्रीय किक बॉक्सिंग प्रतियोगिता में राजस्थान की प्रतिभाशाली खिलाड़ी गुंजन सोढा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीतकर राज्य और क्षेत्र का नाम गौरवान्वित किया। प्रतियोगिता का आयोजन WAKO India Kickboxing Federation द्वारा किया गया, जिसमें देशभर से सैकड़ों खिलाड़ियों ने भाग लिया। गुंजन सोढा ने किक लाइट कैटेगरी (आयु वर्ग 21 से 40 वर्ष) में हिस्सा लिया और दमदार मुकाबलों के बाद सेमीफाइनल तक पहुँचकर पदक अपने नाम किया। गुंजन के प्रदर्शन में उनकी मेहनत, लगन और जुझारूपन साफ दिखाई दिया। इस सफलता के पीछे राजस्थान टीम के कोच श्री पुष्पेंद्र गुर्जर का भी अहम मार्गदर्शन रहा, जिनके नेतृत्व में राजस्थान की टीम ने प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई। इस उपलब्धि पर गुंजन के परिवार, प्रशिक्षकों और खेल प्रेमियों ने उन्हें बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। यह सफल...