खेल के नाम पर धोखा: मान्यता स्कूल तक की नहीं ओर शोर मचाते है ओलम्पिक वाला

 खेल के नाम पर धोखा: मान्यता स्कूल तक की नहीं ओर शोर मचाते है ओलम्पिक वाला 



खेल, जो अनुशासन, मेहनत और ईमानदारी का प्रतीक होना चाहिए, आज कुछ लालची संगठनों के लिए पैसा कमाने का जरिया बन गया है। बिना किसी आधिकारिक मान्यता के खुद को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर का बताने वाली ये फेडरेशन्स सिर्फ खिलाड़ियों और अभिभावकों को ठगने में लगी हैं। महंगे सर्टिफिकेट, नकली चैंपियनशिप और दिखावटी पदक बेचकर ये लोगों के सपनों की सौदेबाजी कर रहे हैं। कुछ मार्शल आर्ट संगठनों में तो अलग ही कंप्यूटेशन चल रहा है 


असलियत यह है कि जब ये खिलाड़ी अपने नकली उपलब्धियों के साथ आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें असली खेल संस्थाओं में प्रवेश तक नहीं मिलता। उनका समय, मेहनत और पैसा बर्बाद हो जाता है, जबकि ये संगठन अपने झूठे दावों से लगातार नए शिकार खोजते रहते हैं।


अब सवाल उन लोगों से है जो इन संगठनों के पीछे बैठे हैं—कब तक आप मासूम खिलाड़ियों और उनके परिवारों की भावनाओं से खेलते रहेंगे? क्या आपको खिलाड़ियों के टूटते सपनों की कीमत पर अपना बैंक बैलेंस बढ़ाने में जरा भी शर्म नहीं आती? अगर आपके अंदर जरा भी नैतिकता बची है, तो बंद कीजिए ये धंधा, वरना एक दिन खिलाड़ी खुद आपके नकली साम्राज्य को ढहा दें

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