राजस्थान बजट 2025: खेलों की अनदेखी से कैसे आएंगे चैम्पियन?
राजस्थान बजट 2025: खेलों की अनदेखी से कैसे आएंगे चैम्पियन?
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राजस्थान सरकार ने 19 फरवरी 2025 को अपना बहुप्रतीक्षित बजट पेश किया, जिसमें शिक्षा, रोजगार और बुनियादी ढांचे पर जोर दिया गया। लेकिन जब बात खेलों की आई, तो सरकार ने खिलाड़ियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। राज्य में खेलों को बढ़ावा देने के लिए किसी ठोस योजना की घोषणा नहीं की गई, जिससे हजारों युवा एथलीट और कोच हताश महसूस कर रहे हैं। सवाल यह है कि जब सरकार खुद खेलों को गंभीरता से नहीं ले रही, तो हम ओलंपिक या राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी कैसे तैयार करेंगे?
क्या सिर्फ क्रिकेट ही खेल है?
सरकार का ध्यान अक्सर सिर्फ क्रिकेट पर केंद्रित रहता है। चाहे वह स्टेडियम निर्माण हो या बड़ी प्रतियोगिताओं की मेजबानी, क्रिकेट के लिए हमेशा बजट मिलता है, लेकिन बाकी खेल उपेक्षित रह जाते हैं। राजस्थान में हॉकी, कुश्ती, बॉक्सिंग, मार्शल आर्ट्स, एथलेटिक्स और फुटबॉल जैसे खेलों के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
खिलाड़ियों की क्या है मांग?
राज्य के युवा एथलीटों ने उम्मीद जताई थी कि इस बजट में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया जाएगा:
1. बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर – जिला स्तर पर खेल परिसरों और अकादमियों का निर्माण।
2. कोच और ट्रेनर्स की नियुक्ति – योग्य कोच की कमी से खिलाड़ी उचित मार्गदर्शन नहीं पा रहे।
3. फंडिंग और छात्रवृत्ति – अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए वित्तीय सहायता।
4. ग्राम पंचायत स्तर पर खेल सुविधाएं – ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं, लेकिन सुविधाओं का घोर अभाव है।
सरकार की अनदेखी: क्या यह न्यायसंगत है?
सरकार हर बार ‘युवा शक्ति’ और ‘खेल संस्कृति’ की बात करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसे लागू करने में असफल रहती है। अन्य राज्यों में जहां खेल बजट बढ़ाया जा रहा है, वहीं राजस्थान ने इस बार भी खेलों को नज़रअंदाज कर दिया।
जब हरियाणा और ओडिशा जैसे राज्य खेलों में निवेश कर रहे हैं और वहां के खिलाड़ी ओलंपिक में मेडल ला रहे हैं, तो राजस्थान कब जागेगा? क्या सरकार केवल उन खिलाड़ियों पर ध्यान देगी जो पहले से ही सफल हैं, या फिर वह नए प्रतिभावान खिलाड़ियों के लिए भी कुछ करेगी?
खेलों में निवेश क्यों जरूरी है?
खेल न केवल युवाओं को स्वस्थ रखता है, बल्कि राज्य का नाम रोशन करने का भी बड़ा माध्यम है। खेल एक ऐसा क्षेत्र है, जो रोजगार के नए अवसर भी प्रदान कर सकता है। अगर सरकार इसे प्राथमिकता नहीं देगी, तो राजस्थान के युवा दूसरे राज्यों में जाकर खेलने को मजबूर होंगे।
सरकार को खेलों को प्राथमिकता देनी ही होगी!
राजस्थान सरकार को अब खेलों के प्रति अपनी सोच बदलनी होगी। बजट में खेलों के लिए फंड आवंटित कर, नई योजनाओं की घोषणा कर और जमीनी स्तर पर सुधार कर ही सरकार राज्य के खिलाड़ियों का भविष्य सुरक्षित कर सकती है। अगर अब भी सरकार नहीं चेती, तो हमें अगले कुछ वर्षों में राजस्थान से कोई नया ओलंपियन देखने की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए।
अब वक्त है सरकार को आईना दिखाने का! क्या राजस्थान के खिलाड़ी सिर्फ वादों और घोषणाओं के सहारे ही आगे बढ़ेंगे, या उन्हें सच में एक मजबूत व्यवस्था मिलेगी?
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