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मात्र 23 वर्ष की उम्र मेदुर्दांत #मुस्लिम आतंकियोंसे भिड़कर अपनी जान देकर350 से अधिक लोगों कीजान बचाने वाली वीरांगना#नीरजाभनोट की #पुण्यतिथीपर #कोटि #कोटि #नमन।

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मात्र 23 वर्ष की उम्र मे दुर्दांत #मुस्लिम आतंकियों से भिड़कर अपनी जान देकर 350 से अधिक लोगों की जान बचाने वाली वीरांगना #नीरजाभनोट की #पुण्यतिथी पर #कोटि #कोटि #नमन। नीरजा को भारत का वीरता का #सर्वोच्च #नागरिक #सम्मान #अशोकचक्र,पकिस्तान का #तमगाएइंसानियत और अमेरिका का #जस्टिसफॉरक्राइम अवार्ड  मिला और पूरे विश्व में इनको हाइजैक गर्ल के नाम से जाना जाता है। 5 सितम्बर 1986 को भारत की एक विरांगना जिसने इस्लामिक आतंकियों से लगभग 350 यात्रियों की जान बचाते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया। भारत के कितने नवयुवक और नवयुवतियां उसका नाम जानते है। ??😢 कैटरिना कैफ,करीना कपूर, प्रियंका चोपडा ,दीपिका पादुकोण,विद्याबालन और अब तो सनी लियोन जैसा बनने की होड़ लगाने वाली #युवतियां क्या नीरजा भनोत का नाम जानती है। नहीं सुना न ये नाम। मैं बताता हूँ इस महान विरांगना के बारे में। 7 सितम्बर 1964 को चंड़ीगढ़ के हरीश भनोत जी के यहाँ जब एक बच्ची का जन्म हुआ था तो किसी ने भी नहीं सोचा था कि भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान इस बच्ची को मिलेगा। बचपन से ही इस बच्ची को वायुयान में बैठने और आकाश में उड़ने...

कोच: खेल व्यवस्था का भूला हुआ योद्धा

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कोच: खेल व्यवस्था का भूला हुआ योद्धा kishor Prajapati खेलों की दुनिया में जब कोई खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पदक लेकर देश का नाम रोशन करता है, तब पूरा देश उसकी जय-जयकार करता है। अख़बारों की सुर्खियों में उसका नाम छपता है, पुरस्कार और सम्मान की बौछार होती है। लेकिन उस चमकते हुए पदक के पीछे खड़ा एक चेहरा ऐसा भी है, जिसे न तो अख़बार की सुर्खियाँ मिलती हैं, न ही समाज का सम्मान — और वह है कोच। कोच की अनदेखी हकीकत कोच वह व्यक्ति है, जो गली-गांव से बच्चों को चुनता है, उन्हें खेल की बुनियादी शिक्षा देता है, अनुशासन और समर्पण सिखाता है। वह वर्षों तक अपने व्यक्तिगत त्याग, मेहनत और सीमित साधनों के बावजूद खिलाड़ियों को तैयार करता है। लेकिन विडंबना यह है कि खेल व्यवस्था में सबसे ज्यादा शोषण और अपमान का शिकार भी वही कोच होता है। जब खिलाड़ी सफल होता है, तो उसकी चमक के पीछे कोच का नाम दब जाता है। अगर कोई कोच सिस्टम की गलतियों पर बोलने की हिम्मत करता है, तो उसके करियर पर ताला लग जाता है। पुरस्कार और पहचान की सूची में खिलाड़ी का नाम होता है, लेकिन कोच अक्सर गुमनाम रह जाता है। एक मौन संघर्ष...